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धारा - 58 (मृत्यु या आजीवन कारावास से दण्डनीय अपराध करने की परिकल्पना को छिपाना)

धारा - 58 (मृत्यु या आजीवन कारावास से दण्डनीय अपराध करने की परिकल्पना को छिपाना)
काल्पनिक चित्र 

भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा - 58 

(मृत्यु या आजीवन कारावास से दण्डनीय अपराध करने की परिकल्पना को छिपाना) 


जो कोई मृत्यु या आजीवन कारावास से दण्डनीय अपराध का किया जाना सुकर बनाने के आशय से या सम्भाव्यतः तद्वारा सुकर बनाएगा यह जानते हुए, ऐसे अपराध के किए जाने की परिकल्पना के अस्तित्व को किसी कार्य या लोप द्वारा या विगूढ़न अथवा किसी अन्य सूचना प्रच्छन्न साधन के उपयोग द्वारा स्वेच्छया छिपाएगा या ऐसी परिकल्पना के बारे में ऐसा व्यपदेशन करेगा जिसका मिथ्या होना वह जानता है, 

(क) यदि ऐसा अपराध कर दिया जाए, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, या

(ख) यदि अपराध न किया जाए, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और दोनों दशाओं में से प्रत्येक एक में जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।

उदाहरण- रहीम, यह जानते हुए कि आबूनगर स्थान पर डकैती पड़ने वाली है, मजिस्ट्रेट को यह मिथ्या इत्तिला देता है कि डकैती ज्वालागंज स्थान पर, जो विपरीत दिशा में है, पड़ने वाली है और इस आशय से कि एतद्वारा उस अपराध का किया जाना सुकर बनाए, मजिस्ट्रेट को भुलावा देता है। डकैती परिकल्पना के अनुसरण में आबूनगर स्थान पर पड़ती है। रहीम इस धारा के अधीन दण्डनीय है।


अपराध का वर्गीकरण

खंड (क): सजा : 7 वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना 

संज्ञान: संज्ञेय है या असंज्ञेय उस न्यायालय द्वारा द्वारा विचारणीय है 

जमानत: जमानतीय है या अजमानतीय उस न्यायालय द्वारा द्वारा विचारणीय है 

विचारणीय: उस न्यायालय द्वारा  विचारणीय है जिसके द्वारा दुष्प्रेरित अपराध विचारणीय है - 

अशमनीय: समझौता करने योग्य नहीं



 खंड (ख): सजा : 3 वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना

संज्ञान: संज्ञेय है या असंज्ञेय उस न्यायालय द्वारा द्वारा विचारणीय है 

जमानत: जमानतीय है या अजमानतीय उस न्यायालय द्वारा द्वारा विचारणीय है 

विचारणीय: उस न्यायालय द्वारा  विचारणीय है जिसके द्वारा दुष्प्रेरित अपराध विचारणीय है - 

अशमनीय: समझौता करने योग्य नहीं







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